SBI ने चुनावी बॉन्ड का डेटा RTI के तहत देने से किया इनकार
मुख्य बिंदु:
- SBI ने चुनाव आयोग को दिए गए चुनावी बॉन्ड का डेटा RTI के तहत देने से इनकार कर दिया है।
- बैंक का दावा है कि यह डेटा न्यासी क्षमता में रखी गई व्यक्तिगत जानकारी है।
- सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही SBI को चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड का पूरा डेटा देने का निर्देश दिया था।
- RTI कार्यकर्ता लोकेश बत्रा ने डिजिटल फॉर्म में डेटा मांगा था।
- बैंक ने आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ई) और 8(1)(जे) का हवाला दिया है।
- बत्रा ने चुनावी बॉन्ड के रिकॉर्ड के खुलासे के खिलाफ SBI के मामले का बचाव करने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को बैंक की ओर दी गयी फीस की रकम का भी ब्योरा मांगा था।
- बैंक ने साल्वे की फीस के बारे में जानकारी देने से भी इनकार कर दिया है।
- चुनाव आयोग ने 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर SBI की ओर से प्रस्तुत डेटा प्रकाशित किया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने SBI को सभी विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
विवरण:
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने चुनाव आयोग (EC) को दिए गए चुनावी बॉन्ड का डेटा RTI के तहत देने से इनकार कर दिया है। बैंक का दावा है कि यह डेटा न्यासी क्षमता में रखी गई व्यक्तिगत जानकारी है।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही SBI को चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड का पूरा डेटा देने का निर्देश दिया था। RTI कार्यकर्ता लोकेश बत्रा ने डिजिटल फॉर्म में डेटा मांगा था।
बैंक ने आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ई) और 8(1)(जे) का हवाला दिया है। धारा 8(1)(ई) न्यासीय क्षमता में रखे गए रिकॉर्ड से संबंधित है, जबकि धारा 8(1)(जे) व्यक्तिगत जानकारी उपलब्ध कराने को निषिद्ध करती है।
बत्रा ने चुनावी बॉन्ड के रिकॉर्ड के खुलासे के खिलाफ SBI के मामले का बचाव करने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को बैंक की ओर दी गयी फीस की रकम का भी ब्योरा मांगा था। बैंक ने साल्वे की फीस के बारे में जानकारी देने से भी इनकार कर दिया है।
चुनाव आयोग ने 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर SBI की ओर से प्रस्तुत डेटा प्रकाशित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने SBI को सभी विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
यह घटना चुनावी बॉन्ड की पारदर्शिता पर सवाल उठाती है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद SBI डेटा देने से इनकार कर रहा है। यह जनता के अधिकारों का उल्लंघन है।