रविवार की सुबह थी… लेकिन कुछ परिवारों के लिए यह सुबह कभी नहीं आएगी।
महासमुंद के कोडार बांध के पास तड़के 3 बजे एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने एक परिवार की खुशियों को पल भर में मातम में बदल दिया।
कोडार बांध – जहां प्रकृति की खूबसूरती होती है, वहां राष्ट्रीय राजमार्ग-53 पर एक कार खड़ी ट्रक से जा टकराई।
कार में झारखंड से रायपुर जा रहे थे चंदन अभिषेक – जो कांकेर के नरहरपुर में स्टेट बैंक के मैनेजर हैं – और उनके साथ था पूरा परिवार।
लेकिन परिवार अब पूरा नहीं रहा…
इस हादसे में चंदन के माता-पिता – किशोर पांडे (69) और चित्रलेखा पांडे (65) – की मौत हो गई।
साथ ही एक और युवक ईश्वर ध्रुव (34) भी इस दर्दनाक टक्कर में जान गंवा बैठे।
अब आप सोचिए –
रात के सन्नाटे में एक कार, एक खड़ा ट्रक, और वो भी बिना कोई चेतावनी, बिना किसी संकेत के।
सरकार सड़क बनाती है – लेकिन क्या वो सड़कें सुरक्षित भी हैं?
अब ज़रा गौर कीजिए – इस हादसे में घायल कौन हैं?
- चंदन अभिषेक – एक बैंक अधिकारी
- खुशबू – उनकी पत्नी
- ध्रुव – मात्र 6 साल का बेटा
अब ये तीनों अस्पताल में हैं… और आप जानिए, ज़िंदगी के ICU में सिर्फ वो नहीं हैं –
हम सब हैं, जो सड़कों पर निकलते हैं… और भरोसा करते हैं कि ट्रक किनारे सुरक्षित खड़े होंगे।
मगर अफसोस – हमारी सड़कों पर खड़े ट्रक ‘काल’ बन चुके हैं।
क्योंकि जहां चेतावनी होनी चाहिए – वहां लापरवाही है।
जहां रिफ्लेक्टर होना चाहिए – वहां अंधेरा है।
जहां ज़िंदगी होनी चाहिए – वहां मौत है।
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है… जांच भी चल रही है…
जैसे हर हादसे के बाद चलती है… मगर सवाल फिर वही है –
क्या ये हादसे रुकेंगे? या हम अगली खबर का इंतज़ार करें?
हमारे देश में ट्रक अक्सर बिना संकेत के, बिना सुरक्षा के सड़क किनारे खड़े मिलते हैं…
और सरकार? वो बजट पास करती है – लेकिन सुरक्षा पास नहीं करती।
इस हादसे में एक बच्चा अनाथ नहीं हुआ… बल्कि हमारी व्यवस्था ने खुद को फिर से नंगा किया है।
और अगली बार, अगला ट्रक, अगली कार – शायद आपकी हो।
अब फैसला आपको करना है – सड़क सिर्फ पहुंचने का रास्ता है, या बिछड़ने का?