रायपुर: छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए “स्वस्थ छत्तीसगढ़” अभियान की शुरुआत की। राजधानी रायपुर के दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित एक भव्य समारोह में राज्य भर से आईं हजारों मितानिन बहनों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने उनकी सराहना की और स्वास्थ्य सेवाओं में उनके अमूल्य योगदान को स्वीकारा।
मुख्यमंत्री साय ने मितानिन बहनों को हर माह प्रोत्साहन राशि सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर करने की नई व्यवस्था की शुरुआत की। उन्होंने रिमोट का बटन दबाकर 90 करोड़ 8 लाख 84 हजार 20 रुपए की राशि का अंतरण किया, जिससे 69 हजार 607 मितानिन बहनों, 3 हजार 448 मितानिन प्रशिक्षकों, 289 ब्लॉक समन्वयकों, 176 स्वास्थ्य पंचायत समन्वयकों, 26 शहरी क्षेत्र समन्वयकों और 285 मितानिन हेल्प डेस्क समन्वयकों को प्रतिमाह भुगतान मिलेगा। इस राशि में केंद्र और राज्य के अंश के साथ-साथ मितानिन प्रोत्साहन राशि भी शामिल है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “पहले मितानिन बहनों को कई चरणों में अटक-अटक कर राशि मिलती थी, लेकिन अब हर महीने समय पर उनके खाते में पैसे आएंगे। मितानिन बहनें छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था का आधार हैं जो सुदूर क्षेत्रों में जाकर भी ईमानदारी से काम करती हैं।”
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मितानिन बहनों के समर्पण की सराहना की और कहा कि उनकी मेहनत के कारण ही छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो रही हैं। उन्होंने कहा, “पहले मितानिनों को राशि ब्लॉक स्तर पर अनियमित अंतराल पर मिलती थी, लेकिन अब उन्हें प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि उनके बैंक खाते में मिलेगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।”
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न जिलों से आईं मितानिन बहनों से बातचीत की और उन्हें मितानिन पासबुक, शाल और फल देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री अरूण साव, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, वन मंत्री केदार कश्यप, विधायक अनुज शर्मा, विधायक गुरु खुशवंत साहेब, विधायक इंद्र कुमार साहू, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ समेत स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और बड़ी संख्या में मितानिन कार्यकर्ता उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री साय ने अपनी सरकार की पारदर्शिता और सुशासन की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि मितानिन बहनों की मेहनत और लगन से छत्तीसगढ़ में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। उनके इस कदम से राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में और भी सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है।