रायपुर, 2 जुलाई – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में शिक्षा को उन्नति का मूल मंत्र बताते हुए बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों को स्कूलों में अनुशासन बनाए रखने और अध्ययन-अध्यापन की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। कलेक्टरों को भी प्रत्येक माह दो से तीन स्कूलों का दौरा कर निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन और पारदर्शी प्रशासन राज्य सरकार का लक्ष्य है और बच्चों को स्कूल में बेहतर भवन और पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था सुनिश्चित करना हमारा प्रयास होगा। उन्होंने स्कूलों के जीर्णोद्धार कार्य की धीमी गति पर नाराजगी जताई और कहा कि जर्जर स्कूलों के जीर्णोद्धार में ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
कलेक्टरों को स्कूल भवनों की सुदृढ़ता की स्वंय मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूल जतन योजना के तहत जीर्णोद्धार कार्याें की जांच की जाए और आबंटित राशि का उपयोग कर कार्यों को पूरा किया जाए। अगले कैबिनेट की बैठक में शिक्षकों और शालाओं के युक्ति-युक्तकरण के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए गए।
बैठक में मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, डॉ. बसवराजू एस., और स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक पेड़ मां के नाम” आव्हान का समर्थन करते हुए कहा कि बारिश के मौसम में ऐसे स्कूल जहां चारदीवारी हो, वहां बच्चों से पेड़ लगवाए जाएं। उन्होंने नीम, गुलमोहर, करंज आदि पेड़ों के लगाने पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री साय ने शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए रोटेशन के आधार पर नीति तैयार करने का निर्देश दिया ताकि सभी शिक्षकों को प्रशिक्षण प्राप्त हो सके। उन्होंने स्कूलों से बच्चों के पालकों को जोड़ने के लिए प्रदेशव्यापी मेगा-पीटीएम आयोजित करने की योजना भी घोषित की।
आरटीई के तहत ड्रॉप आउट रोकने के लिए अधिकारियों को मेंटॉर के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा सचिव ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखा है जिसमें मेंटॉर के रूप में नियुक्त अधिकारी आरटीई के तहत चयनित विद्यार्थियों का प्रवेश सुनिश्चित करेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे।
मुख्यमंत्री ने स्कूलों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया ताकि बच्चों को बारहवीं के बाद रोजगार के अवसर मिल सकें। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत कक्षा 6 से व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना की भी समीक्षा की।
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि छत्तीसगढ़ में छात्र-शिक्षक अनुपात राष्ट्रीय स्तर से बेहतर है। प्रदेश में 9,438 बालवाड़ियां संचालित हैं और इस वर्ष 1132 नई बालवाड़ी शुरू की जाएंगी। पीएम योजना के तहत प्रदेश में 211 स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इनमें किचन-गार्डन, एआई रोबोटिक्स, आईसीटी लैब की सुविधाएं होंगी।
समीक्षा बैठक में बताया गया कि विद्या समीक्षा केंद्र के माध्यम से हितग्राहीमूलक योजनाओं की मॉनिटरिंग की जाएगी। आईआईटी भिलाई के साथ एमओयू कर डाटा विश्लेषण हेतु सॉफ्टवेयर तैयार किया जाएगा। बैठक में प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा संजीव झा, संचालक लोक शिक्षण दिव्या उमेश मिश्रा, संचालक एससीईआरटी राजेन्द्र कटारा और पाठ्यपुस्तक निगम के संचालक कुलदीप शर्मा भी उपस्थित थे।