RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति की घोषणा के साथ ही बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं भी कीं। इनमें बैंकों की लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) की समीक्षा करना भी शामिल है।
LCR समीक्षा का उद्देश्य क्या है?
- बैंकों की तरलता की स्थिति में सुधार करना: आजकल डिजिटल माध्यमों के माध्यम से लेनदेन में वृद्धि के कारण, कभी-कभी बैंकों में भारी मात्रा में नकदी निकासी हो सकती है। LCR समीक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बैंकों के पास हमेशा पर्याप्त तरल संपत्ति हो ताकि वे ऐसी स्थिति में भी ग्राहकों की मांग को पूरा कर सकें।
- वित्तीय संकटों को रोकना: यदि बैंकों के पास पर्याप्त तरलता नहीं है, तो यह वित्तीय संकट का कारण बन सकता है। LCR समीक्षा का उद्देश्य ऐसे संकटों को रोकने में मदद करना है।
RBI ने SFBs के लिए क्या घोषणा की है?
- ब्याज डेरिवेटिव में लेनदेन का अधिकार: RBI ने घोषणा की है कि स्मॉल फाइनेंस बैंकों (SFBs) को जल्द ही रुपया ब्याज डेरिवेटिव उत्पादों में लेनदेन करने की अनुमति दी जाएगी।
- जोखिम प्रबंधन में सुधार: यह SFBs को ब्याज दर जोखिम को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने और अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा।
यह कदम SFBs के लिए फायदेमंद क्यों होगा?
- ब्याज दर जोखिम को कम करना: ब्याज दर में उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान से बचने में मदद करेगा।
- वित्तीय स्थिति मजबूत होगी: SFBs अधिक मजबूत और स्थिर बनेंगे।
- ग्राहकों को बेहतर सेवाएं: ग्राहकों को बेहतर ब्याज दर और अधिक लचीलेपन के साथ ऋण और जमा उत्पादों की पेशकश कर सकेंगे।
निष्कर्ष:
RBI द्वारा LCR समीक्षा और SFBs को ब्याज डेरिवेटिव में लेनदेन की अनुमति देने का निर्णय बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाने और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने में मदद करेगा।