जब आप इस रिपोर्ट को पढ़ रहे होंगे, हो सकता है आपके शहर में आसमान में बादल मंडरा रहे हों, या ओले बरसने की तैयारी कर रहे हों। छत्तीसगढ़ में मौसम सिर्फ बदला नहीं है, बल्कि बता रहा है कि अब अलर्ट को भी नजरअंदाज करना आसान नहीं है।
छत्तीसगढ़ में आज और कल मौसम ने चेतावनी दी है। 21 जिलों में ऑरेंज अलर्ट, यानी मौसम के तेवर अब “हल्के” नहीं रहे। रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर संभागों में अंधड़, बारिश और ओले गिरने की आशंका है। वहीं बस्तर और सरगुजा संभाग के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम की यह करवट कोई सामान्य झोंका नहीं है।
इसके पीछे तीन बड़े सिस्टम सक्रिय हैं—वेस्टर्न डिस्टर्बेंस, साइक्लोनिक सर्कुलेशन और टर्फ लाइन। ये मिलकर प्रदेश को इस समय का सबसे अशांत मौसम दे रहे हैं।
अब ज़रा आंकड़ों की ज़ुबान में समझिए:
- रायपुर: दिन का पारा 37.2°C रहा, जो सामान्य से 4 डिग्री कम।
- बिलासपुर: अधिकतम तापमान 36.1°C, यानी 7 डिग्री नीचे।
- पेंड्रा रोड: न्यूनतम तापमान 18.2°C, ठंड सी ठंड मई में!
- अंबिकापुर: अधिकतम तापमान सिर्फ 33.6°C, और न्यूनतम 18.9°C।
मई में ऐसा होना कोई नई बात नहीं है। लेकिन हर साल जब ये होता है, प्रशासन के पास एक ही जवाब होता है—”अलर्ट जारी कर दिया गया है।”
पर सवाल ये है कि…
- क्या सिर्फ अलर्ट से लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो जाती है?
- क्या गांवों में लोगों को समय रहते ये सूचना मिलती भी है?
- और क्या शहर की खस्ताहाल ड्रेनेज व्यवस्था इन बारिशों को झेल पाएगी?
क्या होता है वेस्टर्न डिस्टर्बेंस?
ये हवाएं भूमध्यसागर से निकलती हैं, और अफगानिस्तान, पाकिस्तान से होते हुए भारत आती हैं। ये अपने साथ नमी लाती हैं और जब ये टकराती हैं—तो ओले गिरते हैं, बारिश होती है और कभी-कभी बिजली भी कड़कती है।
छत्तीसगढ़ में यही हो रहा है। कहीं ओले गिर रहे हैं, कहीं लोग तालपतरी के नीचे भीगने से बच रहे हैं। और कहीं—प्रशासन अभी भी अनुमान ही लगा रहा है।