आज की ये खबर किसी प्रधानमंत्री के भाषण से नहीं, एक गांव के पंचायत घर से आई है—जहां चाय का कप है, लेकिन उसमें चुनाव की गर्मी है।
Phulera लौट रहा है।
Panchayat Season 4 की तारीख तय हो गई है—2 जुलाई 2025। और Prime Video ने इसकी घोषणा उसी दिन की, जिस दिन ये कहानी पहली बार हमारे दिलों में घुली थी—April 2020

Phulera की पंचायत फिर बुलाई गई है, सचिव जी कलम नहीं—अब आत्मा से लिखेंगे
Phulera की पंचायत फिर बुलाई गई है, सचिव जी कलम नहीं—अब आत्मा से लिखेंगे

कोरोना के लॉकडाउन में जब देश बंद था, तब Phulera खुला था।
सचिव जी के टेबल पर फाइलें कम थीं, लेकिन जिंदगी की परतें ज़्यादा थीं।

अब Season 4 में कहानी वहीं से आगे बढ़ेगी, जहां भूषण कुमार की ‘समझिए बात को’ वाली रणनीति और प्रधान जी की ‘मौन लेकिन मुखर’ नेतृत्व शैली टकरा रही है।
ये चुनावी रण Phulera की राजनीति नहीं, पूरे देश की तस्वीर है—जहां विकास के नाम पर विवाद हैं और संवाद के नाम पर ठहाके।

Panchayat सिर्फ एक शो नहीं है,
ये उस भारत का दस्तावेज है, जिसे मेट्रो की भीड़ में कोई याद नहीं करता, लेकिन जो वाकई भारत है।
जहां पंचायत भवन में बैठकर तय होता है कि स्कूल की दीवार कब पुतेगी, और डॉक्टर महीने में कितनी बार आएगा।
जहां सचिव जी जैसे लोग हैं, जो शहर से आए हैं—but दिल अब गांव में रह गया है।

इस बार क्या नया होगा?
भूषण जी के सपनों का पुल बनेगा या प्रधान जी के विकास का रोडमैप?
मंजू देवी फिर से मुखर होंगी या एक बार फिर चुपचाप अपने पति को आगे कर देंगी?
और सचिव जी—क्या वो इस बार अपने मन की सुनेंगे, या सिस्टम के बहाव में बहते रहेंगे?

ये वो सवाल हैं, जो एंटरटेनमेंट के नाम पर आपको हंसा भी देंगे और सोचने पर भी मजबूर कर देंगे।

Panchayat की यही ताकत है—
यह नारे नहीं लगाती,
यह ‘बोलने’ से ज़्यादा ‘दिखाती’ है।