तो साथियों, वही हुआ जिसका अंदेशा था। जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर था, तब क्रिकेट की पिच भी कुछ देर के लिए खामोश हो गई थी। IPL—इस देश का वो अनौपचारिक त्यौहार, जिसे लोग दिल की धड़कनों से जोड़कर देखते हैं—एक हफ्ते के लिए रुक गया। लेकिन अब खबर है कि 16 मई से ये क्रिकेट महाकुंभ फिर से शुरू होगा।

IPL फिर से शुरू: क्रिकेट का बुखार फिर चढ़ेगा, लेकिन इस बार हालात अलग हैं
IPL फिर से शुरू: क्रिकेट का बुखार फिर चढ़ेगा, लेकिन इस बार हालात अलग हैं

तीन शहर, बारह मैच और बस दो हफ्ते…

चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद—ये वो तीन शहर हैं जहां अब IPL के बचे हुए मैच होंगे। कारण साफ है—सुरक्षा, सुविधा और सियासी स्थिरता।
हर दिन अब या तो एक बड़ा मुकाबला होगा या फिर डबल हेडर, यानी क्रिकेट के दीवानों के लिए एक ही दिन में दो-दो खुराक। ये महज एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि एक टाइम टेबल है, जिसमें अब प्लेऑफ और फाइनल की नई तारीखें जोड़ दी गई हैं—30 मई अब फाइनल की संभावित तारीख है।

IPL का लॉजिक, राजनीति का ट्रैजिक…

जब सीजफायर की घोषणा हुई, तो दिल्ली में सिर्फ बॉर्डर ही नहीं, क्रिकेट पिच पर भी हलचल शुरू हुई। IPL चेयरमैन अरुण धूमल ने तत्काल टीम मालिकों, ब्रॉडकास्टर्स और सरकारी एजेंसियों से बातचीत शुरू कर दी। सवाल सिर्फ मैच कराने का नहीं था, सवाल यह भी था कि क्या विदेशी खिलाड़ी लौटेंगे? क्या हर शहर सुरक्षित होगा? और क्या दर्शकों का उत्साह पहले जैसा बना रहेगा?

वापसी की उम्मीद में विदेशी चेहरे…

जब IPL रूका, तो डगआउट खाली हो गए। विदेशी खिलाड़ी अपने-अपने देशों को लौट गए। अब टीमों से कहा गया है कि फिर से टिकट भेजो, ट्रैवल डिटेल्स दो, और वापस बुलाओ उन्हें, क्योंकि इस बार सिर्फ बल्ला नहीं चलेगा, बल्कि टूर्नामेंट की गरिमा भी दांव पर है।

एक खेल, कई सवाल…

  • क्या IPL अब बिना किसी रुकावट के खत्म होगा?
  • क्या सुरक्षा व्यवस्था इन तीन शहरों में पर्याप्त होगी?
  • और सबसे जरूरी सवाल—क्या ये नया शेड्यूल खिलाड़ियों के शरीर और मन दोनों पर भारी नहीं पड़ेगा?

क्रिकेट के पीछे की सियासत और सियासत के बीच का क्रिकेट, दोनों ही एक-दूसरे को प्रभावित कर रहे हैं। यह दौर सिर्फ बॉल और बैट का नहीं है, यह रणनीति और राजधर्म का भी दौर है। और जहां सरकार की नजरें सीमाओं पर टिकी हैं, वहीं देश की जनता की नजरें स्कोरबोर्ड पर होंगी।

इस IPL में अब सिर्फ छक्के और चौकों की बात नहीं होगी, अब हर गेंद के पीछे एक सवाल भी होगा—क्या यह क्रिकेट पहले जैसा है? या अब भी कुछ बदला है?