बिलासपुर में जन्मदिन उपहारों की नई परंपरा: सामाजिक संगठनों की अनूठी पहल

बिलासपुर। न्यायधानी बिलासपुर में सामाजिक संगठनों ने एक नई और अनूठी पहल की है जो जन्मदिन के उपहार देने की परंपरा को एक नई दिशा में मोड़ रही है। अक्सर देखा जाता है कि जन्मदिन पर दिए गए फूलों के गुलदस्ते समारोह के बाद वहीं छोड़ दिए जाते हैं और उनकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए बिलासपुर के कुछ जागरूक समाजसेवियों ने फूलों के गुलदस्ते की जगह सब्जियों और मौसमी फलों की टोकरी देने की पहल शुरू की है।

उपहार देने की नई संस्कृति

यह पहल एक उदाहरण है कि कैसे समाज के छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं। इस पहल के माध्यम से एक नई उपहार देने की संस्कृति का विकास हो रहा है। संगठनों के प्रमुखों का कहना है कि टोकरी में मौसमी फल जैसे अमरूद, कच्चा आम, नींबू, आंवला, चीकू आदि रखे जा सकते हैं। बजट के अनुसार टोकरी का आकार और सब्जियों की मात्रा समायोजित की जा सकती है।

अगर विभिन्न सब्जियां महंगी हैं, तो केवल एक या दो प्रकार की सब्जियां दी जा सकती हैं। यह सोचने का तरीका बदल सकता है और लोगों को उपहार देने के नए विकल्प प्रदान कर सकता है। वहीं दूसरी ओर टोकरी को प्लास्टिक से लपेटने की जगह सूती कपड़े या गमछे का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है, जो बाद में भी उपयोगी साबित हो सकता है। इससे पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों में कमी आएगी और एक स्थायी विकल्प प्रदान होगा।

किसानों के हित में एक छोटा सा प्रयास

फुलवारी सामाजिक संस्था के प्रमुख नितेश साहू का मानना है कि यह छोटा सा प्रयास किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में सहायक होगा। जब लोग सब्जियों और मौसमी फलों की टोकरी उपहार में देंगे, तो इससे किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।

गुलदस्ते का कचरे में जाना समाप्त

मार्मिक चेतना वेलफेयर सोयायटी की संस्थापिका अंकिता पांडेय कहती हैं कि इस पहल से न केवल किसानों को आर्थिक सहयोग मिलेगा बल्कि लोगों को भी ताजगी भरी सब्जियां और फल मिलेंगे जिनका सेवन किया जा सकेगा। गुलदस्ता कचरे में चला जाता है।

पर्यावरण के लिए भी लाभकारी

जज्बा स्पोर्ट्स एंड वेलफेयर सोसायटी के प्रमुख दीपक अग्रवाल का कहना है कि इस पहल से केवल किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है। फूलों के गुलदस्ते की जगह सब्जियों और फलों की टोकरी देने से प्लास्टिक की पैकेजिंग में कमी आएगी।

समाज में क्रांति लाने की दिशा

बिलासपुर में इस पहल के शुरुआत से यह सिद्ध हो गया है कि छोटे-छोटे बदलाव समाज में क्रांति ला सकते हैं। सामाजिक संगठनों द्वारा इस तरह की पहल से न केवल किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। आने वाले समय में यह चलन और भी लोकप्रिय हो सकता है और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।