आज की कहानी उसी पुरानी कहावत को फिर साबित करती है—“लालच बुरी बला है, और क्रिप्टो की फर्जी चमक तो उससे भी ज़्यादा ख़तरनाक।”
1️⃣ क्या हुआ? घटना का फ़ास्ट-फ़ॉरवर्ड
- जनवरी 2024 – बिलासपुर के 52-साल के प्रमोद जायसवाल दोस्त के साथ कोरबा (उरगा) पहुँचते हैं, जहाँ मुलाकात होती है नरोत्तम और उसकी पत्नी पूजा से।
- कपल खुद को एक क्रिप्टो कंपनी का CEO और मार्केटिंग मैनेजर बताता है। दावा: “10 लाख लगाओ, साल भर में 20 लाख ले जाओ।”
- अगस्त 2024 – नरोत्तम बिलासपुर आकर नया ऑफ़र देता है: “बस 6 लाख लगाओ, 6 महीने में पैसा डबल।”
- भरोसा जीतने के बाद प्रमोद दो किश्तों में 6 लाख दे देता है।
- रकम माँगने पर बहाने—“खाते में डाल रहे हैं… नुकसान हो गया… पैसे डूब गए।”
- मई 2025 – थक-हारकर प्रमोद पुलिस में शिकायत, सकरी थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज; कपल फ़रार।
2️⃣ यह स्कैम कैसे काम करता है?
स्टेप | स्कैमर्स की टेक्निक | आम इंसान की कमज़ोरी |
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पहचान बनाना | CEO/मैनेजर की धौंस | “अच्छा नेटवर्क होगा!” |
लालच जगाना | दोगुना रिटर्न का वादा | “इतनी जल्दी डबल? लाजवाब!” |
भरोसा पक्का करना | बार-बार मुलाकात, बिज़नेस जargon | “ये तो प्रॉफ़ेशनल लगते हैं” |
प्रेशर टैक्टिक | “अभी पैसा लगाओ—ऑफ़र लिमिटेड है” | FOMO (Fear Of Missing Out) |
बहाना बनाना | “मार्केट गिर गया… बाद में देंगे” | कानूनी जानकारी की कमी |
3️⃣ बड़ा सवाल—कहाँ चूक हुई?
- KYC (Know Your Counterparty): पैसा देने से पहले कंपनी की रजिस्ट्रेशन ही चेक नहीं की गई।
- Regulatory Vacuum: भारत में क्रिप्टो अभी तक रेगुलेटेड नहीं, इसलिए धोखा पकड़ने तक देर हो चुकी थी।
- Awareness Gap: लोकल पुलिस या प्रशासन ने ऐसे स्कैम अलर्ट पहले क्यों नहीं चलाए?
4️⃣ सीख क्या है? 3-प्वाइंट चेकलिस्ट
- “निश्चित रिटर्न” वाला क्रिप्टो ऑफ़र = 🚩 रेड फ़्लैग
- हमेशा SEBI/RBI जैसी अथॉरिटी की वेबसाइट पर कंपनी का नाम सर्च करें।
- अनजानी स्कीम में पैसा लगाते समय दोस्त‐परिवार के अलावा किसी फ़ाइनैंशल एडवाइज़र से सलाह लें।
5️⃣ आगे क्या?
- पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया, लेकिन हमें देखना होगा—क्या आरोपियों को समय पर पकड़ा जाएगा?
- क्या सरकार क्रिप्टो-संबंधी फ्रॉड हेल्पलाइन बनाएगी?
- और सबसे ज़रूरी—क्या आप अगली बार “छह महीनों में डबल” वाली मीठी बातों से बच पाएँगे?