रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब दुकानें 24 घंटे और पूरे सप्ताह खुली रह सकती हैं, बशर्ते कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश दिया जाए। पुरानी व्यवस्था में दुकानों को सप्ताह में एक दिन बंद रखना अनिवार्य था। वहीं, दुकानों व स्थापनाओं का पंजीयन नगरीय निकायों के बजाय अब श्रम विभाग करेगा।
नई व्यवस्था के तहत कुछ सुरक्षा शर्तों के साथ महिला कर्मचारियों को रात में भी काम करने की अनुमति दी जाएगी। सभी नियोजकों को अपने कर्मचारियों के रिकॉर्ड को इलेक्ट्रॉनिक रूप से मेंटेन करना होगा। इसके अलावा, हर साल 15 फरवरी तक सभी दुकानों और स्थापनाओं को अपने कर्मचारियों का वार्षिक विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने छोटे दुकानदारों को राहत और कर्मचारियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ दुकान व स्थापना (नियोजन व सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 2017 और नियम 2021 को पूरे राज्य में लागू कर दिया है। इसके साथ ही पुराना अधिनियम 1958 और नियम 1959 को निरस्त कर दिया गया है। श्रम विभाग के अनुसार नया अधिनियम पूरे राज्य में लागू होगा, जबकि पुराना अधिनियम केवल नगरीय निकाय क्षेत्रों में प्रभावी था।
नए अधिनियम में जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है, लेकिन साथ ही कंपाउंडिंग की सुविधा भी दी गई है, जिससे नियोजकों को कोर्ट की कार्रवाई से बचने का विकल्प मिलेगा। निरीक्षकों की जगह फैसिलिटेटर और मुख्य फैसिलिटेटर नियुक्त किए जाएंगे, जो व्यापारियों और नियोजकों को बेहतर मार्गदर्शन देंगे।
यह बदलाव छोटे दुकानदारों को राहत देने वाला है। नया कानून केवल उन दुकानों और स्थापनाओं पर लागू होगा जिनमें 10 या उससे अधिक कर्मचारी होंगे। पहले, बिना किसी कर्मचारी के भी सभी दुकानें इस अधिनियम के दायरे में आती थीं।
नए नियमों के तहत, दुकान और स्थापनाओं के पंजीयन शुल्क को कर्मचारियों की संख्या के आधार पर तय किया गया है। न्यूनतम शुल्क 1,000 रुपए और अधिकतम 10,000 रुपए होगा। पहले यह शुल्क 100 से 250 रुपए तक था।
श्रम विभाग ने स्पष्ट किया है कि नए अधिनियम के लागू होने के 6 महीने के भीतर सभी पात्र दुकानों और स्थापनाओं को पंजीयन कराना होगा। पहले से पंजीकृत दुकानें स्वतः नए अधिनियम में शामिल हो जाएंगी और उन्हें केवल श्रम पहचान संख्या के लिए आवेदन करना होगा, बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के।
स्थापनाओं का पंजीयन अब श्रम विभाग के पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन किया जाएगा। इस प्रक्रिया से छोटे दुकानदारों को राहत मिलेगी, पंजीयन प्रक्रिया सरल होगी और कर्मचारियों के अधिकारों का बेहतर संरक्षण किया जा सकेगा।