बिलासपुर: बिलासपुर के दोंदेखुर्द गांव में भारतीय स्टेट बैंक के तत्कालीन मैनेजर ने बड़ा फर्जीवाड़ा कर डाला। मैनेजर ने 55 फर्जी स्व सहायता समूह बनाकर इनके नाम से लोन स्वीकृत करा लिया। लोन की राशि दो व्यापारियों के नाम इंडियन बैंक में जमा कराई। व्यापारियों ने अपना कमीशन काटकर शेष राशि बैंक मैनेजर के स्टेट बैंक के खाते में जमा कर दी।
यह गड़बड़ी बैंक में वार्षिक आडिट के दौरान सामने आई। जांच में पता चला कि मैनेजर ने प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना और आजीविका मिशन के तहत 2.77 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा किया था।
कैसे दिया फर्जीवाड़े को अंजाम:
- मैनेजर जानबूझकर स्व सहायता समूह और ऋण के लिए आने वाले लोगों के आवेदन निरस्त कर देता था।
- हितग्राहियों के फोटो और आधार कार्ड का इस्तेमाल कर फर्जी स्व सहायता समूह बनाता था।
- इन समूहों के नाम पर लोन स्वीकृत कराकर राशि दो व्यापारियों के खातों में जमा कराता था।
- व्यापारी कमीशन काटकर शेष राशि मैनेजर के खाते में जमा कर देते थे।
हाई कोर्ट ने जताई गंभीरता:
इस मामले में हाई कोर्ट ने भी गंभीरता जताई है। जस्टिस एनके व्यास ने कहा है कि यह पब्लिक मनी का दुरुपयोग है। उन्होंने वर्तमान ब्रांच मैनेजर से शपथ पत्र के साथ जानकारी मांगी है।
यह मामला सामने आने के बाद बैंक मैनेजर पर कार्रवाई की जा रही है।
इस घटना से हमें कुछ सबक मिलते हैं:
- बैंकों में ऋण लेने के लिए आवेदन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
- बैंक अधिकारियों से ऋण स्वीकृति की प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए।
- किसी भी प्रकार के फर्जीवाड़े की शंका होने पर तुरंत बैंक या संबंधित अधिकारियों को सूचित करना चाहिए।